होने लगे विरोध अब,पूर्व अंध विश्वास। मनुज बढ़ा उत्कर्ष को,लेकर उन्नत आस।। हर कुप्रथा कुरीति की, मूल ही दो उखाड़ - सत्य सनातन धर्म के,मूल्य दिखे तब खास।। ढोंगी आडंबर सभी, खुल जाती जब पोल। सत्य स्वर्ण सा तब खरा,पाये अपना मोल। शिक्षा का दीपक जले,जले तमिस्त्र अज्ञान- धीरे-धीरे जल रहा ,शंका का हर खोल।। वीणा खंडेलवाल तुमसर महाराष्ट्र ©veena khandelwal #airballoon