काग़ज़ की कश्ती थी पानी का किनारा था, खेलने की मस्ती थी ये दिल अवारा था, कहाँ आ गए इस समझदारी के दलदल में, वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था। ©NishantKhatana14 #bachpan #khel #Shayari