चलती-फिरती तस्वीरें हैं हम इंसान, उस भगवान की, जिसने दिये हैं हमें हाथ और खींच दी हैं उन पर लकीरें। मान कर जिसे शाश्वत 'किस्मत की लकीर', गुज़ार दिया जीवन बहुतों ने। पर चुना ख़ुद को मैंने अपनी किस्मत का चित्रकार, मिटा देता हूँ बार बार मैं, अपनी तथाकथित किस्मत की असफल लकीर को, अपने कर्म की सफ़ेदी से। भरने को नित नये सफलता के रंगों से, हाथों में लिए कर्म की कूंची,कर्मरत, अपनी किस्मत का हूँ ऐसा रंगसाज़! -अभय #KARM #chitrakar #work #Bhagya #mehnat #Rang #koonchi #painter