Unsplash बहुत नाकाम कोशिशों के बाद आती है ये शायरी भी कहां अपने आप आती है मैंने जो देखा सुना सहा वो लिखता गया कल्पनाओं की कहां कोई किताब आती है। गीता कुरान या बाइबिल पढ भी ली तो क्या इश्क की जमात तो इश्क के साथ आती है। कभी अकेला नहीं आता सावन का महीना तूफ़ान और बारिश भी साथ आती है। मै न कहता था मेले में आने वालों हर महंगी चीज रोटी के बाद आती है।। ©Dr Amit Gupta #Book