हम उम्मीद का समन्दर यूं ही सजा लेते हैं, वो खफा न हो कभी ये दुआ रब से मांग लेते हैं, दरिया में डूबू या समन्दर में कहीं, हर वक्त बस उसका ही नाम लेते हैं..! नाम उसका ही लेते है....…!