कार्तिक की वार्तिकी माँ! तुम ही थी... तुम ही थी वर्तिका भी जीवन के अँधियारे में जगमग दो आँखें...नेह भरी इन्हीं से रंगिम थी। सजती थी। होली और दीपावली देव दीपावली को गंगा का आँचल भी चली गई देवलोक औचक ही होगी वहाँ चंचलता तुम्हारी सी खूब होगी धूम और रौनक भी देवगण मना रहे होंगे सहर्ष स्नेहिल देव दीपावली हमारे आँगन की आभा में निखर आया होगा देवलोक भी #toyou#mymummy#missyoumummy#missinglife#yqliveliness#yqagility#yqlove