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मोड़, गलियां और सपाट-सीधे रास्ते आयें जितनें भी जि

मोड़, गलियां और सपाट-सीधे रास्ते
आयें जितनें भी जिन्दगी में,
मैं हर कदम पर तुम्हारे
अपनीं एक नज्म छोड़ जाऊंगा।

तुम्हें हो मुश्किल जरा भी जब
अपनें चुनें रास्तों पर,
तुम वहीं से एक नज्म उठाना
और
उसी के सहारे चले आना।

इन्तज़ार मेरा है ठीक वैसा
राम का कर रही थी शबरी जैसा!!❣

सुकुमार.....✒ सपाट
मोड़, गलियां और सपाट-सीधे रास्ते
आयें जितनें भी जिन्दगी में,
मैं हर कदम पर तुम्हारे
अपनीं एक नज्म छोड़ जाऊंगा।

तुम्हें हो मुश्किल जरा भी जब
अपनें चुनें रास्तों पर,
तुम वहीं से एक नज्म उठाना
और
उसी के सहारे चले आना।

इन्तज़ार मेरा है ठीक वैसा
राम का कर रही थी शबरी जैसा!!❣

सुकुमार.....✒ सपाट