किसी रोज़ छॉंव की तलाश में भटकता आया था तुम्हारे पास, ज़िन्दगी को लेकर था बहुत ही हताश में इसीलिए शायद लेना चाहता नहीं था मै एक भी सांस। मगर साथ रहकर मुझे तुमने जीना सिखाया, हर एक पल मुझे दर्द से लड़ना सिखाया, मुझे क्या पता था आगे चल कर तुम ही मेरी दर्द बन जाओगी, बेवकूफ था मै की लिखता गया जो भी तुमने मुझे लिखाया। बाकी सब दर्द सेहेन कर सकता था मगर तुम्हारी जुदाई नहीं, तुम हो नहीं मगर अब भी तुमको महसूस कर सकता हूं मै कहीं ना कहीं, तुम्हारे जाने के बाद अब लगता मूझको कुछ नहीं सही, तुम चली गई मगर तुम्हारी यादों में मै खो सा गया हूं कहीं ना कहीं। भूल कर भी तुमको भुला नहीं सकता, चाह कर भी तुमको दर्द दे नहीं सकता, अब तोह मुझे अपने हाल में जीने दो, कियुकी अब और दर्द मै सेहेन कर नहीं सकता......... #किसी_रोज़_चाव_की_तलाश_में