इरादा दिल में जो मैंने पाला है अंधेरा मिटा के लाना उजाला है यूं किस्मत भरोसे तकदीर नहीं बदलती बिना मेहनत किए तस्वीर नहीं बदलती भविष्य के लिए वर्तमान साध रहा भूत में क्या हुआ अब याद न रहा नाव भी अपनी,पतवार भी अपनी भंवरों की तटनी, मझधार में है तरणी हिलोरें नदी के थपेड़े हवा के लगातार आघात कर रहे मुझ पे फिर भी न मैं सहमा, डर न रहा मुझे मरने का पतवार थामें खड़ा मैं भूधर सा सब्र रख मैं प्रतीक्षारत उस मौके का हवा रुख बदले उस अनुकूल अवसर का मुझे तो है पाना मेरी मंजिलों को जो दिलाएंगी विश्व पटल पे पहचान मुझको वो मंजिल फैलाए बाहों को अपने गले लगाने को आतुर हैं मुझको खड़ी उस पार साहिल पे कब से इंतजार कर रही पहुंचने को मेरे।। इरादा दिल में जो मैंने पाला है अंधेरा मिटा के लाना उजाला है यूं किस्मत भरोसे तकदीर नहीं बदलती बिना मेहनत किए तस्वीर नहीं बदलती भविष्य के लिए वर्तमान साध रहा भूत में क्या हुआ अब याद न रहा नाव भी अपनी,पतवार भी अपनी भंवरों की तटनी, मझधार में है तरणी