निशा मध्य में आ पहुँची, मैं अनिद्र बन हूँ संकुची, हाल मेरा बेहाल सा है कुछ, लगता है भय अब तो सच - मुच, पढ़ते - पढ़ते क्या हुई ये रात हमारी है, कुछ ना होवे अब बस मेरी सोने की तैयारी है... सोने की तैयारी है एक कवि सोते-सोते भी कविता ही लिख रहा होता है। सोने की हर किसी की तैयारी अनोखी होती है। लिखें अपने क़िस्से। #सोनेकीतैयारीहै #challenge #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi