सबके होते हुए भी तन्हा रहकर, एक कमरे में पूरा दिन निकाल रही हूं। ना खाने की इच्छा, ना कुछ करने का मन, बस कुछ ख्यालों में डूबी घंटे गुजार रही हूं। कुछ अजीब-सा स्वभाव हो गया है मेरा, क्यूं छोटी-छोटी बातों पर खुद को रुला रही हूं, क्यूं खुद को इस दर्द से नही निकाल पा रही हूं, हर क्षण कुछ ना कुछ चलता ही रहता दिमाग में मेरे, एक अगल ही दुनिया में खोए जा रही हूं, दिन भर इस दिमाग की कश्मकश के चलते खुद को खोती जा रही हूं मैं, ऊपर से शांत और अंदर से घबराहट में जीए जा रही हूं, धीरे-धीरे इस तरह शायद अवसाद में जा रही हूं। धीरे-धीरे शायद अवसाद में जा रही हूं।...✍️😌 ©Akku Jat #beinghuman