#OpenPoetry चाँद की गोदी मैली है । तारे देख मुझे करते ठिठोली है । डाँट दे ना इनको आके तू माँ क्यों इतनी भोली है । सारा जहान आँख दिखाता है । सिसक मेरा सारा बदन जाता है । डाँट दे ना इनको आके । तुझसे कैसे माँ देखा जाता है । कांटो की ऊँगली थामी है । ऐसी क्या मुझमें ख़ामी है । डाँट दे ना इनको आके । क्यों माँ ना भरती तू हामी है । ख़ुशी चिढ़ा चिढ़ा के खाते है । नींदे उड़ा उड़ा कर जाते है । डाँट दे ना इनको आके । क्यों माँ बस लम्हे ही वापस आते है । दर्द की बातें बस तर्ज़ हुई है । जीने में ज़िन्दगी क्यों क़र्ज़ हुई है । डाँट दे ना इनको आके । क्यों माँ ना फिक्रें अब मर्ज़ हुई है । ये आँखों में भरते तीखा उजाला है । मन इनका घनघोर काला है । डाँट दे ना इनको आके । क्यों माँ इतने नाज़ों से पाला है । #OpenPoetry #माँ #world