§§§ 🙏 जरा ठहरो मैं कुछ कहता हूं..... वक्त की बात को वक्त के साथ ही तुम्हें बताता हूं। कद्र हुई ,समय बचा, नसीहत दे दी समय ने; ठहर गया सब कुछ मेरे सामने ना हवा चली ना पता हिला। समय ने फिर कहा जरा ठहरो मैं कुछ कहता हूं2।। निकलता था सुबह जल्दी,शाम को देर से आता था। आदत सी हो गई या मजबूरी मेरी,कुछ समझ ना आता था। वक्त मुझे मिला एक मोड़ पर;समझा गया खुद को वहीं छोड़कर भागती जिंदगी में फिर से आवाज आई जरा ठहरो मैं कुछ कहता हूं2।। ना स्वास्थ्य की चिंता ना अपनों का ख्याल.... ना ही भूख ना ही प्यास बस एक ही ख्याल कमाना है ;भविष्य के लिए चलते रहो चलते रहो... जिंदगी मशीन थी या मशीनों में जिंदगी समय ने संकेत दिया कि वर्तमान में जी ले। खुद ठहरा रहा मुझे भी कहा ठहरो मैं कुछ कहता हूं मैं कुछ कहता हूं 2।। ठहर गया मैं भी मजबूरी थी मेरी ...... ख्याल आया कि परिवार जिंदगी है मेरी... ख्याल आया मेरे गांव का वह जन्मभूमि है मेरी.... ख्याल आया अपनत्व का रिश्ते नातों में जान है मेरी... बचत की आदत बुजुर्गों की नसीहत थी समय भी नसीहत दे गया और कहने लगा..... ठहरो मैं कुछ कहता हूं;मैं कुछ कहता हूं।। जीवन निरंतर चलता है,संयम बरतना जरूरी है। हर मुश्किल का हल है हिम्मत रखना जरूरी है। समय अवसर देता है बदलाव का,पश्चाताप का..... हम अनसुना कर देते हैं,फिर प्रकृति एहसास दिलाती है,और समय आवाज लगाता है, कि..... जरा ठहरो मैं कुछ कहता हूं, जरा ठहरो मैं कुछ कहता हूं।। ¶लेखक:-¶ ~जगदीश सारण JCS~ लाभु का तला JKT खड़ीन 🙏🙏 स्वरचित कविता जरा ठहरो मैं कुछ कहता हूं #reading