हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, बस चलते हैं बस चलते हैं क्यूँ कि आँखों में सपने पलते हैं किसी ऊंचाई पर पहुँच जाएंगे कभी ये सोच के ही मन में हँसते हैं हज़ार ख्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं कभी यहाँ तो कभी वहाँ कोई मंजिल ही नहीं मिल रही इसलिए दिल में जलते हैं हज़ार ख्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं पापा बोलते हैं इंजीनियर माँ बोले डॉक्टर औऱ हमे तो हाथ खाली ही मिलते हैं हज़ार ख्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं। #ख्वाहिशेंहज़ार