यूँ दिखते हैं *महुर्त*, *शुभ-लग्न* के लिए, क्यूँ नही आता *महूर्त* फिर *अन्तिम सफ़र* के लिए! और आज 'वो' देखते फिरते हैं *मुहुर्त ए राखी* फिर क्यूँ *भाईयों* को ही उन *बहनों की याद तक नहीं आती* । ©अभिषेक मिश्रा "अभि" #सोनू_की_कलम_से #Rakhi #बहनें #भाई_बहन_का_प्यार