पारावार सी फ़ितरत है तो नदियों सी आदत अपनी, बस कोई पास बुला के ख़ुद में मिला ले मुझको। उसकी साँसों पर सवार दीयें सी क़िस्मत अपनी, अगर मेरे जलने से जलन है तो फूंक मारकर बुझा दे मुझको। जब तुम और हम साथ है,तो ख़ुदा से भी लड़ सकता हूँ, शर्त इतनी सी है दौड़ के आकार बस गले से लगा ले मुझको। 🎀 Challenge-233 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।