जाने क्यूं ये दिल भरा-भरा सा रहता है हर जख्म हरा-हरा सा रहता है । हर आँख में वीरानी सी छायी है इंसानियत मरा-मरा सा लगता है । आ अब लाैट चले अपने गाँवाें की और जहा आज भी परायापन दिखता नहीं । कितने भी सामान कर लू जमा ऐशाे-आराम के माँ तेरी हाथाें की राेटी के बगैर कहीं सुकूँ मिलता नहीं... 📖 रचना विषय :- 'सुकूँ मिलता नहीं' 📖 6-10 पंक्तियों में रचना करें ✍️ 📖 वर्तनी पर विशेष ध्यान दें। 📃आवश्यक नियम व शर्तें पिन पोस्ट के कैप्शन में पढ़कर ही रचना पूर्ण करें। ©Image credit - copyright free #हिन्दी_काव्य_कोश #tmkosh #yqbaba #हिन्दी_काव्य_कोश ⭐️⭐️⭐️ #YourQuoteAndMine