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#OpenPoetry जब होगा शौचालय तो, शर्म से नही सम्मान

#OpenPoetry जब होगा शौचालय तो, 
शर्म से नही सम्मान से जायेंगे
शर्म से सर झुकायेंगे नही गर्व से उठाएंगे
हो पुरुष -बूढ पुरनिया या जवान
सबके सामने से जायेंगे
अब शर्म से नही 
सम्मान से जीवन बिताएंगे
सुबह -शाम और सुनसान का इंतजार ना होगा
दिन हो  या रात ,या हो कोई भी वक़्त
बेहिजक और निडर से जायेंगे
शौच की भावना अब किसी से ना छुपायेंगे
रोग और गंदगी से मुक्ति पाएंगे
स्वच्छ भारत अभियान में अपनी भागीदारी निभाएंगे
सुन्दर और स्वच्छ भारत बनाएंगे
 #OpenPoetry -सम्मान घर(शौचालय)
#OpenPoetry जब होगा शौचालय तो, 
शर्म से नही सम्मान से जायेंगे
शर्म से सर झुकायेंगे नही गर्व से उठाएंगे
हो पुरुष -बूढ पुरनिया या जवान
सबके सामने से जायेंगे
अब शर्म से नही 
सम्मान से जीवन बिताएंगे
सुबह -शाम और सुनसान का इंतजार ना होगा
दिन हो  या रात ,या हो कोई भी वक़्त
बेहिजक और निडर से जायेंगे
शौच की भावना अब किसी से ना छुपायेंगे
रोग और गंदगी से मुक्ति पाएंगे
स्वच्छ भारत अभियान में अपनी भागीदारी निभाएंगे
सुन्दर और स्वच्छ भारत बनाएंगे
 #OpenPoetry -सम्मान घर(शौचालय)
arunkr8291535920797

Arun kr.

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