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सुबह को शाम,शाम को रात लिख दो, सब छोड़,अब दिल की ब

सुबह को शाम,शाम को रात लिख दो,
सब छोड़,अब दिल की बात लिख दो ।
आसमां छूने की चाहत अब रही नहीं,
छूना है धरा को,ये ख्यालात लिख दो ।
जिद्दी मन कुछ देखता नहीं तेरे सिवा,
मुझे सारंग खुद को प्रभात लिख दो ।
खामोश हो के अब सोचता है 'अनिल',
मैं सजन तेरा कभी ये बे-बात लिख दो ।

©ANIL KUMAR,)
  #khyalaat
anilkumar6102

ANIL KUMAR,)

New Creator

#khyalaat #Love

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