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हम राम नहीं हैं, इसलिए हमारा कोई भरत हो ही नहीं सक

हम राम नहीं हैं, इसलिए हमारा
कोई भरत हो ही नहीं सकता। यदि
हमें भरत चाहिए, तो स्वयं राम
बनना होगा। और भरत होकर ही
हम राम को पा सकते हैं। वैसे आज
भी संसार में राम और भरत दोनों हैं,
पर वे हमसे कितनी दूर हैं या हमारे
पास हैं। यह जान लेना मुश्किल है।
यदि हम पहल करने के अभिलाषी हैं,
तो हमें हमारा अभीष्ट मिल सकता है।
पर दूसरे से आकांक्षा रखना, निराशा
का ही पर्याय होती है। हम दीपक हैं, 
दह कर दूसरों को प्रकाशित करेंगें।
स्वयं अंधेरे में लिपटे रहेंगे। 🙏 #भ्रातृत्व #अनाम #शाम और तन्हाई #293
हम राम नहीं हैं, इसलिए हमारा
कोई भरत हो ही नहीं सकता। यदि
हमें भरत चाहिए, तो स्वयं राम
बनना होगा। और भरत होकर ही
हम राम को पा सकते हैं। वैसे आज
भी संसार में राम और भरत दोनों हैं,
पर वे हमसे कितनी दूर हैं या हमारे
पास हैं। यह जान लेना मुश्किल है।
यदि हम पहल करने के अभिलाषी हैं,
तो हमें हमारा अभीष्ट मिल सकता है।
पर दूसरे से आकांक्षा रखना, निराशा
का ही पर्याय होती है। हम दीपक हैं, 
दह कर दूसरों को प्रकाशित करेंगें।
स्वयं अंधेरे में लिपटे रहेंगे। 🙏 #भ्रातृत्व #अनाम #शाम और तन्हाई #293