मैं उसका अकेलेपन में साथ बनूं अंधेरों की राह में उजाले-सा साथ बनूं मैं रहूं ना रहूं जिंदगी में उसकी ऐ-वक्त... पतझड़ में बसंत और सावन की बरसात बनूं गर गिरे गम के मोती आँखों से उसकी उसको जो संभाल ले वो दो हाथ बनूं ढूंढ़े जब वो भीड़ मे अपना कोई तो खुले दिल में समाये जज्ब़ात बनू बैठे जब जब वो सोचने जिंदगी उसकी सबसे खूबसूरत एक याद बनू मैं रहूं या ना रहूं जिंदगी में उसकी ऐ-वक्त पतझड़ में बसंत और सावन की बरसात बनूं _'दीपक कुमार निमेश' बरसात की याद में यादों की बरसात@DKNimesh