कह दो इन हसरतो से कहीं और जा बसें, ईतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दागदार मे, दिन जिद़गी खत्म हुए शाम हो गई, फैला का पांव सोएंगे कुंज-ए-मज़ार मे, #bahadur_SHAAH_Zafar_ birth_anniversary