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आजकल चांद नासाज़ है, हलचल से कि कोई उस पर नज़र रखत

आजकल चांद नासाज़ है, हलचल से
कि कोई उस पर नज़र रखता है...
अकेला इबादत करता था वो, हलचल से
इबादत में खलल पड़ता है....
"वात्सल्य "

©Dr Vishal Singh Vatslya
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