कोशिशें हज़ार दफ़ा करी तुझे मनाने की नाराज़गी की वजह समझने की पर रही हर बार मैं नाकामयाब लड़ाई झगड़े और ये कमबख्त इश्क़ के मसले और चार चांद लगाने को आपकी नाराज़गी और खामोशिया सब बिखरता सा नज़र आ रहा हैं सोचती जो कि सुलझाऊ ये उलझने सब और उलझता सा नज़र आ रहा हैं हालत नासाज़ हैं हमारी तू बेपरवाह सा नज़र आ रहा हैं आख़िर ख्वाहिश क्या हैं तुम्हारी एक दफा कहते हो इश्क़ हैं हमसे तो क्यों हमसे जुदा होने का दिल चाह रहा हैं। ©Shatakshi #latenightthoughts #brokenheartquotes #yqtales_love #yqbaba #escriptor_trodde