बेटी क्यों है समाज में अब तलक बोझ ये बेटी, क्यों है पराई और बिना घर वाली ये बेटी। ससुराल भेजकर क्यों मुह मोड़ लेते हैं सभी, शादी के बाद घर में मेहमान क्यों है ये बेटी। जिसने जन्म दिया वही माँ क्यों अदू हो जाती है, क्यों बेटे की ख़ला न भर पाती है ये बेटी। अपनी ही माँ का साथ इसे मिलता नहीं है, क्यों माँ के लिए जन्म देना बोझ है ये बेटी। मायके और ससुराल रखती है ये बेटी, क्यों बचपन के बाद ये घर खो देती है बेटी। सोच सोच दर्द से चीख उठता है ये मन, जब देखती हूँ आस पास पराए होती ये बेटी। ©सखी #बेटी #पराई #क्यों #है