खाट का दुश्मन ~~~हास्य (अवधी)~~~ काव बताई हमार शरीर काहे का झुरात बाय। हमरे खटिया कै दुश्मन जवन हमै खात बाय। खाट कै खटमल प्रेम से खुनवा चूसै मा लीन। काव कही शरम लागत एक जगहा पै काटत तीन। दवा मिलत नाही बा नीक यही से ओसे मात बाय। हमरे खटिया कै.................................... ...। उठ-उठ बैठेन खाट पै जब रात के खटमल काटै। जौ मनई होय तौ बोलै अब खटमल का कैसे डांटै। कहत 'देव' आखिर मन मा केतना पैइना दांत बाय। हमरे खटिया कै................. ...... .... ............। मनावत हई अपने मन मा सेठ के खाट मा जल्दी जा। सब दुबलन का छोडके तू उनहिक चूसा उनहिक खा। कम करा तोंद कै फूलब जे ढ़ेर-ढेर के खात बाय। हमरे खटिया कै..........................................। -देव फैजाबादी #NojotoQuote #खाट का दुश्मन (अवधी, हास्य)#nojotohindi#poems#shayari#