किसने कहा विकल हो किसने कहा विरल हो तुम हो सुघर सलोने बादल सरस सघन हो न जाने कितनी आशा के तुम असीम धन हो महनीय हो तुम उतने जितने ही सरल मन हो वसुधा किलकती कहती तुम ही तो जीवन जल हो तुम मृदुल प्रकृति के वरीय वर्णक्रम हो तुमसे ही चित्रमय है संसार! तुम सृजन हो मेधा के तुम मनन हो मंथन के अमिय कण हो! भयभीत क्यों समय से? तुम कालजयी क्षण हो सच है व्यथा तुम्हारी दृढ़ता है इसपे भारी आवर्तनों में इसके स्वर्णिम कथा तुम्हारी तुम विज्ञ, प्रज्ञ, प्रमुदित साहित्य के रतन हो संचित करे संस्कृति जो तुम सदय वो जतन हो आनंद! मुग्द्ध मृदुमन आनंद में मगन हो सदैव इस निकुंज में निकष की सतत लगन हो #toyou#yqmotivation#yqselfquest#yqfindingin#yqlove