Nojoto: Largest Storytelling Platform

हे अर्जुन! जो तमोगुण से घिरी हुई बुद्धि अधर्म को

हे अर्जुन! 
जो तमोगुण से घिरी हुई बुद्धि अधर्म को भी "यह धर्म है"ऐसा मान लेती है 
तथा संपूर्ण पदार्थों को भी विपरीत मान लेती है वह बुद्धि तामसी है।।
श्रीमद्भगवतगीता १८/३२ तामसी बुद्धि
हे अर्जुन! 
जो तमोगुण से घिरी हुई बुद्धि अधर्म को भी "यह धर्म है"ऐसा मान लेती है 
तथा संपूर्ण पदार्थों को भी विपरीत मान लेती है वह बुद्धि तामसी है।।
श्रीमद्भगवतगीता १८/३२ तामसी बुद्धि