पैदा हुई जब घर में एक लड़की माथा पकड़ सब बैठ गए, लड़का होता कपड़े मिलते बोल बूआ फूफा सब रूठ गए।। भाई गया इंग्लिश मीडियम,उनको ना सरकारी भी नसीब हुई, बहन किसको कोसेगी क्या वो इतनी बदनसीब हुई।। बड़ी हुई जब वो उससे कॉलेज ने मुंह मोड़ लिया, लड़की थी बस इसलिए ही शिक्षा ने नाता तोड लिया।। जब भी अपनी इच्छा रखती,वो पराया धन कहलाती थी, ससुराल जाकर पूरी करना मां उसको बहलाती थी।। जब वो सत्रह पार हुई, शादी के लिए लाचार हुई, वो बार बार गिड़गिड़ाई थी,कुछ तो सोचो मेरी भी न सोच सको तो भाई सी।। ना सुनी किसी ने एक क्योंकि वो परिवार का एक बोझ थी, तू लड़की नही तू लड़का होती सुनती ये सब वो रोज थी। सुसराल गई तो सास ने भी उसका भी भ्रम उतार दिया, पराए घर की लड़की है तू ऐसा ताना मार दिया।। ©KAVI VINIT BADSIWAL #kanya #Massageoftheday