तेरी ज़िन्दगी में बदलती रहती है तारीख़-दर-तारीख़, मेरी साँस तो आज भी एक ही तारीख़ पे अटकी है। तूने तो सजा दिया यूँही कितनी उम्मीदों का बाज़ार, मेरी ख़्वाहिश हमेशा एक तेरे लिए ही तो भटकी है। यूँ ही साथ चलते-चलते होते-होते हो जाता है प्यार, एक तेरे इज़्हार की ख़ातिर यादों की बेल लटकी है। देखना कहीं देर ना हो जाए तुझे फ़ुर्सत निकालते-², इन्हीं लम्हों के लिए कितनी नज़रअंदाज़ी गटकी है। जिन्हें होता है प्यार वो ऐसे तरसाते तो नहीं हैं 'धुन', जाने क्यों दिल ने यूँ ही भर रखी उम्मीद-मटकी है। ♥️ Challenge-705 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।