मायूस निगाहें , नज़र है झूकी, चेहरा है मुरझाया सा, पता नहीं क्या है ग़म। क्यू बैठी है तू खुद को सताए, क्यों घुट रही है तू अंदर से, छुपा के अपने अल्फ़ाज, तोड़ दे अपनी ख़ामोशी, और जरा मुस्कुरा हल्के से । अपने अल्फाज़ को मारना, जैसे अपनी इच्छाएं मारना, क्यों डरे तू दुनिया के मुखोटे से, तोड़ दे सारे बंदिशें तू, और खोल दे दिल के द्वार तू । उदास होने से कुछ ना हुआ हासिल, अपने दर्द को मात दे के, लहरा दे अपना साहिल, जिंदगी तेरी भी है, तो फिर तू क्यों मायूस है। ♥️ Challenge-816 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।