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कितना अच्छा था बचपन , जब मां लोरी गाकर हमे सुलाती

कितना अच्छा था बचपन ,
जब मां लोरी  गाकर हमे सुलाती थी,
कितना अच्छा था  वह बचपन, जब मां 
हमे राजा रानी की किस्से सुनाती थी,

कितना अच्छा था बचपन ,जब मां हमे नहलाती थी,
कितना अच्छा था वह बचपन,
जब मां हमे  अपने हाथो से खाना खिलाती थी,
कितना अच्छा था वह बचपन,
जब मां चोटो पर मलहम लगती थी,
कितना अच्छा था वह बचपन,
जब मां हमे लाड लड़ाती थी,
कहा गया वो बचपन, वो बचपन फिर से याद आती है,
जो मां के बिना अधूरी कहानी है।


🙏😔🙏

©pushpanjali netam
  #bekhudi  Maa पर कविता

#bekhudi Maa पर कविता

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