हमने कोशिश तो की, 'अनाम' बयाँ कर न सके। दिल हसरतों से लबरेज़ पर ज़ुबाँ पर ला न सके। मेरी शिफ़त कुछ ऐसी कोई ख्वाहिश कर न सके। जिसके लिए प्यार उमड़ा उसे सुने कुछ कह न सके। प्यार अपने दिल का हम दिल से बाहर रख न सके। होना तय था फ़ना मुझे नूर से नजरें मिला न सके। तमाम ख़्याल दिल में थे अपना इश्क़ आजमा न सके।— % & #shamaurtanhai #46/365 #365days365quotes #khyal #dil #aazma #hasrat #sake