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आज hospital मे एक पूरा दिन बीतने के बाद माइंड मे क

आज hospital मे एक पूरा दिन बीतने के बाद माइंड मे कुछ सवाल थे जो किसी और से पूछना शायद सही न ही होता, हाँ पर आज एक अच्छी चीज़ का अनुभव और एक अच्छा सा thought जरूर मिल, की life मे आप जिसके भी साथ हो A-Z इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता है फर्क़ पड़ता है आप के वक़्त आपकी सोच का, एक चीज़ जो मुझे आज जानने को मिली वो ये है कि हम अभी जिनके भी साथ है उनके बारे में किसी प्रकार की कोई सोच न ही लाए तो बेहतर है उसकी जगह अगर हम उन कुछ लोगों के साथ उस वक्त लम्हे या समय को कुछ एसा बीतने की कोशिश करे जैसे कि वो वक़्त अब कभी आने वाला ही नहीं है
मिला था एक मरीज़ शायद उसका कोई भी नहीं था और ज्यादा बीमार होने की वज़ह से किसी ने इंसानियत के नाते उसे हॉस्पिटल मे छोड़ दिया था, घाव, बुखार, कपड़े फाटे, जैसे हार ही मान गया हो लोगों से और life से भी पर बस जीने की कोई छोटी सी आशा उसे चैन से मारने भी नहीं दे रही थी, हाँ मैं जानता हू hospital स्टाफ खाना देता है पर उसका मन कुछ और ही था, जैसे उसके आसपास के लोगों का अलग अलग खाना देख कर उसका भी मन उन्हें खाने को हो रहा था but वो ये बात बोले भी तो बोले कैसे और किससे, हो सकता है इससे पहले उसने कोशिश की हो और किसी ने उसे डाट या मारा भी उसका वो डर उसकी आखों चेहरे पे साफ दिख रहा था, वो बस मन में स्वाद ले रहा था, अब मैं ठहरा जिज्ञासू इंसान मुझसे रहा नहीं गया, और चाला गया उसकी कुछ जाच पड़ताल करने, मुझे डर तो नहीं लगता किसी से पर मैं सोच रहा था क्या ही बोलू उससे, फिर उसकी शक़्ल देख के मैंने बिस्किट का पेकेट उसे दे दिया, और याकि मानो उसे लेने से वो इंसान इतना डर रहा था कि जैसे मैं उसे कुछ बोलने या मरने वाला हू, फिर भी डर हुआ वो एक बिस्किट ले ही लिया पर मैंने उसे पूरा दे दिया, और जो उसके खाने की स्पीड थी एसा लगा बहुत सालो से भूखा है और फिर एक और मांगने लगा मेरे पास कुछ नहीं था तो मैंने आपने पास का खाना ही उसे दे दिया पर एक डॉक्टर आ के मुझे सुनने लगा कि इसकी हालत सही नहीं है इसे एसा वैसा कुछ मत दो और वो खाना कचरे में फेंक दिया, गुस्सा तो बहुत आया पर क्या करे मैं वापस आपने bed पे आ गया और खिड़की से उसे देख रहा था, बेबसी क्या चीज़ होती है मुझे आज पता चल वो उस कचरे से वो खाना निकलने की कोशिश कर रहा था जिसमें न जाने क्या क्या प़डा था, मेरा मन भी नहीं मान रहा था तो मैंने दो तीन बिस्किट और ला के उसे दे दिए उसने उसे खाया और जमीन पे सो गया, फिर शाम को उससे कुछ बाते की ओर मेरे घर जाने का time भी हो गया 
पर हाँ ये मालूम हुआ कि हम जो आज आपने अपनों के साथ है खुश हैं पर हम ही लोगों मे कुछ लोग एसे भी है जो सबसे अकेले हैं पर वो किसी से बोल नहीं प रहे डर की वज़ह से वो भी हमारी life का एक हिस्सा बनने की सोचते हैं पर हम और हमारी सोच उन्हें किसी न किसी वज़ह से पहले भी नकारा चुकी है ये डर बिल्कुल उस मरीज़ की तरह है जिसके सामने तुम हाथ भी बढ़ा रहे हो तो भी वो डर रहा है, 
बहुत छोटी सी जिंदगी है जिसके एक एक पल बहुत क़ीमती है तुम कैसे हो ये फर्क़ नहीं पड़ता है तुम लोगों के लिए कैसे हो ये matter करता है, तुम घर से बाहर जाते हो तो रास्ते बहुत मिलते हैं जिनमे एक रास्ता हमेशा घर का होता है ये याद रखना, 
जिंदगी में बहुत से लोग मिलेगे अब ये तुमपे है कि तुम कादर किनकी करते हैं 100 मे से 80 वो होंगे जो बस आप का इस्तेमाल या कुछ वक्त गुजारने को मिलेगे लेकिन कोशिश ये करना की जो बाकी के बचे 20 लोग हैं वो आप से किस मक़सद से बात करते हैं वक्त देते हैं, there are some people जिनको आप से शायद ही कुछ चाहिए क्यु उनके पास भी सब कुछ होता है but वो आप से बात आपकी care और जो value आपने उनकी आखों मे खुद के लिए बनाई है बस इसलिए, और मेरी मानो तो ये लोग god gifts blessings से कम नहीं क्युकी परिवार के बाद कोई एसा तो है जो आप को खुश करने की कोशिश आप के लिए वक़्त निकलने की कोशिश और आप का support करने की कोशिश कर रहा है कहीं दूर होते हुए भी, पर ईन बाते से उन्हें बिल्कुल भी फर्क़ नहीं पड़ेगा जिनका ego घमंड और अहंकार आपनी निश्चित सीमा से कहीं ज्यादा है,

©Shayar jubani #alittestoryinahospitel
आज hospital मे एक पूरा दिन बीतने के बाद माइंड मे कुछ सवाल थे जो किसी और से पूछना शायद सही न ही होता, हाँ पर आज एक अच्छी चीज़ का अनुभव और एक अच्छा सा thought जरूर मिल, की life मे आप जिसके भी साथ हो A-Z इससे कोई फर्क़ नहीं पड़ता है फर्क़ पड़ता है आप के वक़्त आपकी सोच का, एक चीज़ जो मुझे आज जानने को मिली वो ये है कि हम अभी जिनके भी साथ है उनके बारे में किसी प्रकार की कोई सोच न ही लाए तो बेहतर है उसकी जगह अगर हम उन कुछ लोगों के साथ उस वक्त लम्हे या समय को कुछ एसा बीतने की कोशिश करे जैसे कि वो वक़्त अब कभी आने वाला ही नहीं है
मिला था एक मरीज़ शायद उसका कोई भी नहीं था और ज्यादा बीमार होने की वज़ह से किसी ने इंसानियत के नाते उसे हॉस्पिटल मे छोड़ दिया था, घाव, बुखार, कपड़े फाटे, जैसे हार ही मान गया हो लोगों से और life से भी पर बस जीने की कोई छोटी सी आशा उसे चैन से मारने भी नहीं दे रही थी, हाँ मैं जानता हू hospital स्टाफ खाना देता है पर उसका मन कुछ और ही था, जैसे उसके आसपास के लोगों का अलग अलग खाना देख कर उसका भी मन उन्हें खाने को हो रहा था but वो ये बात बोले भी तो बोले कैसे और किससे, हो सकता है इससे पहले उसने कोशिश की हो और किसी ने उसे डाट या मारा भी उसका वो डर उसकी आखों चेहरे पे साफ दिख रहा था, वो बस मन में स्वाद ले रहा था, अब मैं ठहरा जिज्ञासू इंसान मुझसे रहा नहीं गया, और चाला गया उसकी कुछ जाच पड़ताल करने, मुझे डर तो नहीं लगता किसी से पर मैं सोच रहा था क्या ही बोलू उससे, फिर उसकी शक़्ल देख के मैंने बिस्किट का पेकेट उसे दे दिया, और याकि मानो उसे लेने से वो इंसान इतना डर रहा था कि जैसे मैं उसे कुछ बोलने या मरने वाला हू, फिर भी डर हुआ वो एक बिस्किट ले ही लिया पर मैंने उसे पूरा दे दिया, और जो उसके खाने की स्पीड थी एसा लगा बहुत सालो से भूखा है और फिर एक और मांगने लगा मेरे पास कुछ नहीं था तो मैंने आपने पास का खाना ही उसे दे दिया पर एक डॉक्टर आ के मुझे सुनने लगा कि इसकी हालत सही नहीं है इसे एसा वैसा कुछ मत दो और वो खाना कचरे में फेंक दिया, गुस्सा तो बहुत आया पर क्या करे मैं वापस आपने bed पे आ गया और खिड़की से उसे देख रहा था, बेबसी क्या चीज़ होती है मुझे आज पता चल वो उस कचरे से वो खाना निकलने की कोशिश कर रहा था जिसमें न जाने क्या क्या प़डा था, मेरा मन भी नहीं मान रहा था तो मैंने दो तीन बिस्किट और ला के उसे दे दिए उसने उसे खाया और जमीन पे सो गया, फिर शाम को उससे कुछ बाते की ओर मेरे घर जाने का time भी हो गया 
पर हाँ ये मालूम हुआ कि हम जो आज आपने अपनों के साथ है खुश हैं पर हम ही लोगों मे कुछ लोग एसे भी है जो सबसे अकेले हैं पर वो किसी से बोल नहीं प रहे डर की वज़ह से वो भी हमारी life का एक हिस्सा बनने की सोचते हैं पर हम और हमारी सोच उन्हें किसी न किसी वज़ह से पहले भी नकारा चुकी है ये डर बिल्कुल उस मरीज़ की तरह है जिसके सामने तुम हाथ भी बढ़ा रहे हो तो भी वो डर रहा है, 
बहुत छोटी सी जिंदगी है जिसके एक एक पल बहुत क़ीमती है तुम कैसे हो ये फर्क़ नहीं पड़ता है तुम लोगों के लिए कैसे हो ये matter करता है, तुम घर से बाहर जाते हो तो रास्ते बहुत मिलते हैं जिनमे एक रास्ता हमेशा घर का होता है ये याद रखना, 
जिंदगी में बहुत से लोग मिलेगे अब ये तुमपे है कि तुम कादर किनकी करते हैं 100 मे से 80 वो होंगे जो बस आप का इस्तेमाल या कुछ वक्त गुजारने को मिलेगे लेकिन कोशिश ये करना की जो बाकी के बचे 20 लोग हैं वो आप से किस मक़सद से बात करते हैं वक्त देते हैं, there are some people जिनको आप से शायद ही कुछ चाहिए क्यु उनके पास भी सब कुछ होता है but वो आप से बात आपकी care और जो value आपने उनकी आखों मे खुद के लिए बनाई है बस इसलिए, और मेरी मानो तो ये लोग god gifts blessings से कम नहीं क्युकी परिवार के बाद कोई एसा तो है जो आप को खुश करने की कोशिश आप के लिए वक़्त निकलने की कोशिश और आप का support करने की कोशिश कर रहा है कहीं दूर होते हुए भी, पर ईन बाते से उन्हें बिल्कुल भी फर्क़ नहीं पड़ेगा जिनका ego घमंड और अहंकार आपनी निश्चित सीमा से कहीं ज्यादा है,

©Shayar jubani #alittestoryinahospitel