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अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​, फिर भी #म

अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे​,
फिर भी #मशहूर हैं #शहरों में फ़साने मेरे​,
#ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे​,
अब भी बाकी हैं कई #दोस्त पुराने मेरे।

©ANUBHAWA KUMAR
  #gindgi#