एक पत्ते पर तेरा नाम लिखा.. एक बार नही सौ बार लिखा... तू सोचती हो कुछ होर कुछ होर नही तेरा नाम लिखा... है आंधियां चलने लगी तेरा नाम मिटने लगा... मैं भी थोड़ा थोड़ा करके रोज तुझमें सिमटने लगा.. ओर कहा तक फैलता मैं पैर अपने.. वो जमाना छोटा पड़ने लगा.. मुझे लड़ने का ना बहाना पाया मै तो बिना बात के लड़ने लगा... ये आदत भी कैसी ख़ास लगी बिना चाह के तेरी प्यास लगी.. तूने जो चाहा वो मिल जाएगा बस मुझे मिटाने के होड़ लगी... ©vinni.shayr एक पत्ते पर तेरा नाम लिखा..= #PARENTS