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हर बार बोल के बताऊँ जरूरी तो नहीं, कभी आंँखों की


हर बार बोल के बताऊँ जरूरी तो नहीं,
कभी आंँखों की भाषा पढ़ कर भी समझ।

हरपल बेकरार-ओ-बेताब रहता है दिल,
कभी इस बेकरार दिल का हाल तो समझ।

तड़प रही हूंँ जल बिन मछली की तरह,
कभी इस बेचैन दिल की तड़प तो समझ।

मेरे करार का एक तू ही तो बस जरिया है,
कभी मेरे इस दिल का नजरिया तो समझ।

खोई रहती हूंँ बस तेरे ही ख्वाबों खयालों में,
कभी मेरे ख्वाबों ख्यालों के सुकून को समझ। ♥️ Challenge-525 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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हर बार बोल के बताऊँ जरूरी तो नहीं,
कभी आंँखों की भाषा पढ़ कर भी समझ।

हरपल बेकरार-ओ-बेताब रहता है दिल,
कभी इस बेकरार दिल का हाल तो समझ।

तड़प रही हूंँ जल बिन मछली की तरह,
कभी इस बेचैन दिल की तड़प तो समझ।

मेरे करार का एक तू ही तो बस जरिया है,
कभी मेरे इस दिल का नजरिया तो समझ।

खोई रहती हूंँ बस तेरे ही ख्वाबों खयालों में,
कभी मेरे ख्वाबों ख्यालों के सुकून को समझ। ♥️ Challenge-525 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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