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کس کا ہے جرم کس کی خطا سوچنا پڑا رہتے ہیں کیوں وہ

کس کا ہے جرم کس کی خطا سوچنا پڑا 
رہتے ہیں کیوں وہ ہم سے خفا سوچنا پڑا 
ابرار اعظمی

دوستو آداب۔ اس شعر کی ردیف کو تخلیق کا موضوع بنا کار کوئی شعر یا نظم لکھیں۔
شکریہ  किस का है जुर्म किसकी ख़ता सोचना पड़ा
रहते हैं क्यूं वो मुझ से ख़फ़ा सोचना पड़ा..
अबरार आज़मी

दोस्तो इस शेर की रदीफ़ है 
'सोचना पड़ा'
इसी को अपनी तख़लीक़ का मौज़ू बनाकर शेर या नज़्म लिखें।
کس کا ہے جرم کس کی خطا سوچنا پڑا 
رہتے ہیں کیوں وہ ہم سے خفا سوچنا پڑا 
ابرار اعظمی

دوستو آداب۔ اس شعر کی ردیف کو تخلیق کا موضوع بنا کار کوئی شعر یا نظم لکھیں۔
شکریہ  किस का है जुर्म किसकी ख़ता सोचना पड़ा
रहते हैं क्यूं वो मुझ से ख़फ़ा सोचना पड़ा..
अबरार आज़मी

दोस्तो इस शेर की रदीफ़ है 
'सोचना पड़ा'
इसी को अपनी तख़लीक़ का मौज़ू बनाकर शेर या नज़्म लिखें।