आज कल वो शाम मिलती कहा है वो टिमटिमाते तारों के बीच वो चाँदनी ठहरती कहा है एक तो शाम ऊपर से आशिकी में बदनाम ऐसी शान वाली बदनामी मिलती कहां है टूटकर चाह लू मैं जिसको हद दर्जा वो इंसान मुझको मिलता कहाँ है उस पर ये इल्ज़ाम ये शक्स प्यार तो बहुत करता है मगर ठहरता कहा है..... #CityEvening#endofera