ना जाने कहां गया वो बचपन जिसमें ना हिंदु थे ना मुसलमान थे हम सब दोस्त एक दुसरे की जान थे नाम के पीछे सिंह,खान,शर्मा कुछ भी लगा था हमारे दिऐ हऐ निकनेम पहचान थे सारी उमर ये दोस्ती यूहीं बनी रहेगी सबके यही अरमान थे क्या पता था ये राजनीति मजहब पर होगी इस बात से बिल्कुल अनजान थे जब लड़ते थे तो सुलह हो जाती थी हम एक दुसरे की मचस्कान थे आज दरार डालदी सियासत ने समाज मे बचपन मे ये बात सुनके हैरान थे हमारी दोस्ती को कोई नही तोड़ पाऐगा बचपन मे बड़े गुमान थे जातिवाद राजनीति ने सब खत्म कर दिया वो भी दूर रहने लगे जिनके पास मकान थे इस वोट ने सारी महोब्बत खत्म करदी वर्ना हमारे तो साथ मनते नवरात्रे और रमजान थे वो ईद मे हमे खीर सेवईंया खिलाते हम भी खिलाते मीठे पकवान थे राजनीति की नजर लगेगी दोस्ती को इस बात.से अनजान थे। #Bachpan ki dosti#childhood#CAB#citizenship amendment bill ########