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ना हुई मुझसे कुछ ख़ता, ना ही हुई मुझसे कोई गलती,



ना हुई मुझसे कुछ ख़ता,
ना ही हुई मुझसे कोई गलती,
ना ही निकले कभी तेरे ख़िलाफ मेरे अल्फ़ाज,
फ़िर भी मुझसे क्यों रूठे रूठे से हुज़ूर। 

क्यों ये मायूसी का पहरा है तेरे चेहरे पर, 
क्यों ख़ामोश है तेरे दबे अल्फ़ाज, 
गुस्सा भी तेरा प्यारा सा लगे मोहे, 
अब तो बोल दे बालम क्यों रूठे हो मुझसे। 

ना ले मेरे सब्र का इतना इम्तिहाँ, 
ना तू तड़पा मुझे ओर ज्यादा, 
तोड़ के अपनी ख़ामोशी बयां कर अपने अल्फ़ाज, 
क्योंकि तेरी खुशी में ही मेरी खुशी छुपी है।

तेरी ये बेरूखी के काले बादल का साया, 
छाया है आज मेरी ज़िंदगी में, 
तू जितनी बार रूठेगी उतनी बार मैं तुझे मना लूंगा, 
क्योंकि रूठना तेरी फ़ितरत में है तो, 
मनाना हमारी फ़ितरत में है। 

-Nitesh Prajapati 



 ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1071 #collabwithकोराकाग़ज़

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♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

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ना हुई मुझसे कुछ ख़ता,
ना ही हुई मुझसे कोई गलती,
ना ही निकले कभी तेरे ख़िलाफ मेरे अल्फ़ाज,
फ़िर भी मुझसे क्यों रूठे रूठे से हुज़ूर। 

क्यों ये मायूसी का पहरा है तेरे चेहरे पर, 
क्यों ख़ामोश है तेरे दबे अल्फ़ाज, 
गुस्सा भी तेरा प्यारा सा लगे मोहे, 
अब तो बोल दे बालम क्यों रूठे हो मुझसे। 

ना ले मेरे सब्र का इतना इम्तिहाँ, 
ना तू तड़पा मुझे ओर ज्यादा, 
तोड़ के अपनी ख़ामोशी बयां कर अपने अल्फ़ाज, 
क्योंकि तेरी खुशी में ही मेरी खुशी छुपी है।

तेरी ये बेरूखी के काले बादल का साया, 
छाया है आज मेरी ज़िंदगी में, 
तू जितनी बार रूठेगी उतनी बार मैं तुझे मना लूंगा, 
क्योंकि रूठना तेरी फ़ितरत में है तो, 
मनाना हमारी फ़ितरत में है। 

-Nitesh Prajapati 



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