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धुँए की धुंध से पहचान लिखने, हवा पे हवा से अपना ना

धुँए की धुंध से पहचान लिखने,
हवा पे हवा से अपना नाम लिखने,

#जाना

Read full poem in caption. #जाना....

"जाना", ये शब्द कभी भी सुखदायी नही हुआ न,

बचपन की लट्टू की सुतली से जब,
उंगलियां निकाल,
उनमे चौक फँसा कर स्कूल "जाना" हुआ,
लगा जैसे किसी वृद्ध को विर्द्धाश्रम भेज दिया हो,
धुँए की धुंध से पहचान लिखने,
हवा पे हवा से अपना नाम लिखने,

#जाना

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"जाना", ये शब्द कभी भी सुखदायी नही हुआ न,

बचपन की लट्टू की सुतली से जब,
उंगलियां निकाल,
उनमे चौक फँसा कर स्कूल "जाना" हुआ,
लगा जैसे किसी वृद्ध को विर्द्धाश्रम भेज दिया हो,
amritraj2837

Amrit Raj

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