मेरी मेज पे रखा जो ये आईना है मुझे बस एक अनजान अधूरेपन का एहसास दिलाता है इसके सामने ही कलम उठाता हूँ और आईने में खुद को देखकर रुक जाता हूँ की ये कविताये कहानिया शेर ग़ज़ले नज़्म किसके लिए "गुजरे वक़्त में झांको जरा" ये चीख चीख कर मुझसे कहता है कई यारो से सजी महफ़िल थी जब तभी तो शेर थे अब तो बस ये सफों पे उकेरे हुए शब्द है तभी तुम इश्क़ में थे जब वो गीत लिखे दुनिया से छुपा कर बस उसके लिए अब जब इश्क़ बचा ही नही तुम्हारे अंदर तो इन गुरबत भरी ग़ज़लों का क्या काम जिस छत से रात भर अपनी दास्तान कहते हो न वो बारिश में अपने ना होने का एहसास दिला देती है तुम्हे .......... "आईना"-1 . . . #yqbaba #yqdidi #yopowrimo #yqlekhak #yqlekhani #yqkahani