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दर्द पिघला है कि, नम आँखें हैं ठहर कर किसी पल को झ

दर्द पिघला है कि, नम आँखें हैं
ठहर कर किसी पल को झाँकें ये
वो पल जो कल ज़िन्दगी थी
वो पल जो आज, तमाशें हैं
किसी कोना दिल का, सुना-सुना सा
किन्हीं लम्हों में, कल उतारें हैं
रखा है बांध के, की न टूटे फिर
ये जो एहसासों के कच्चे धागे हैं

©paras Dlonelystar
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