ओ गोरी ....... ओ गोरी सुनले,हमारी विनती सुनले हमारी मिनती क्योंकर खेतों में बल खाए......2 चलती ठुमक के जो तुम चलती मटक के जो तुम देखो सरसो भी लहराए ओ गोरी......... पायल ये रुनझुन तेरी कंगना की खनखन तेरी मुझको है घायल किये जाए ओ गोरी...... लट को झटकती जब तुम चुनरी फटकती जब तुम बगियन में कलियां खिल जाए ओ गोरी...... माथे पे बिंदिया चम चम होठों की लाली मधुरम सूरज भी देखे शरमाए ओ गोरी.... बाली उमर है तेरी चढ़ती जवानी मेरी आहे न यूँ ही,मर जाए ओ गोरी सुनले, हमारी विनती सुनले हमारी मिनती क्योंकर खेतों में बल खाए...2 ओ गोरी,सुन ले...... ओ गोरी सुन ले.... दिलीप कुमार खाँ""अनपढ़"" #Heartbeat ओ गोरी