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"लिखते रहे हम" मौत का मंजर था, जिस

"लिखते रहे हम"               

मौत का मंजर था, जिसे तड़पती जवानी लिखते रहे हम।
खून के आंसू रोते रहे और फकत बहता पानी लिखते रहे हम।

और जिसने किया तन्हा हमें, तड़पाया और जगाया रातों में।
कमबख्त उसी को अपना हमदर्द, अपनी रानी लिखते रहे हम।

सब कुछ खो दिया जिसने, सिर्फ कुछ पाने की चाहत में।
उस लड़की को फिर उम्रभर शायानी लिखते रहे हम।

लोग पूछते थे इतने सितम सह के भी तुम जिंदा कैसे हो।
पर  उनके दिए दर्द को भी उनकी आखिरी निशानी लिखते रहे हम।

और एक शायरी समझ के इसे भूल मत जाना मेरे यारों।
शायरी ही बता बता कर अपनी कहानी लिखते रहे हम।

#दर्द💔💔✍️✍️

©Kdt Writes❣️(Kuldeep Tripathi)
"लिखते रहे हम"               

मौत का मंजर था, जिसे तड़पती जवानी लिखते रहे हम।
खून के आंसू रोते रहे और फकत बहता पानी लिखते रहे हम।

और जिसने किया तन्हा हमें, तड़पाया और जगाया रातों में।
कमबख्त उसी को अपना हमदर्द, अपनी रानी लिखते रहे हम।

सब कुछ खो दिया जिसने, सिर्फ कुछ पाने की चाहत में।
उस लड़की को फिर उम्रभर शायानी लिखते रहे हम।

लोग पूछते थे इतने सितम सह के भी तुम जिंदा कैसे हो।
पर  उनके दिए दर्द को भी उनकी आखिरी निशानी लिखते रहे हम।

और एक शायरी समझ के इसे भूल मत जाना मेरे यारों।
शायरी ही बता बता कर अपनी कहानी लिखते रहे हम।

#दर्द💔💔✍️✍️

©Kdt Writes❣️(Kuldeep Tripathi)