गुज़र रही है इन दिनों ज़िन्दगी कुछ खौफ़ में कुछ अफ़सोस में ये जो हाथ मे लम्हें हैं न फिर मिलेंगे हैं मगर लोग कहाँ होश में आरज़ी है बड़ा वक़्त कहाँ ठहरा है कभी जो ठहरेगा इस बार सब्र से लीजिये काम की गुज़र जाएगा ये दौर भी कुछ रोज़ में 17/4/21 2nd wave of pandemic आरज़ी - transient