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बचपन की यादें भी न कितनी सुहानी होते थे। रोज दोस्त

बचपन की यादें भी न कितनी सुहानी होते थे।
रोज दोस्तो से मिलने के बहाने होते थे।।
लंच होते ही सारे खाने में लूट मच जाते थे।
यादों की खजानों में रोज नए रंग भर जाते थे।।
                                 H.P MAURYA 
                                 Director- DSP bachpan ki yaade
बचपन की यादें भी न कितनी सुहानी होते थे।
रोज दोस्तो से मिलने के बहाने होते थे।।
लंच होते ही सारे खाने में लूट मच जाते थे।
यादों की खजानों में रोज नए रंग भर जाते थे।।
                                 H.P MAURYA 
                                 Director- DSP bachpan ki yaade
hariprakashmaury9731

samar

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