बचपन की यादें भी न कितनी सुहानी होते थे। रोज दोस्तो से मिलने के बहाने होते थे।। लंच होते ही सारे खाने में लूट मच जाते थे। यादों की खजानों में रोज नए रंग भर जाते थे।। H.P MAURYA Director- DSP bachpan ki yaade