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आ जाओ लौटकर कि जान अब भी बाकी है तेरी उम्मीद में स

आ जाओ लौटकर कि जान अब भी बाकी है
तेरी उम्मीद में सांसों की लय साक़ी है
इस जान के बोझ से मुक्त कर दो
सांसों को भी हवाओं में उन्मुक्त कर दो ।।

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