प्रयागराज नहीं इलाहाबाद कहती हूँ मैं।। सियासत में ढली नहीं हूँ मैं प्रयागराज नहीं इलाहाबाद कहती हूँ मैं वक़्त बदलनें पे बदली नहीं हूँ मैं तुम्हें आज भी यार कहती हूँ मैं संगम की शामें, यूनिवर्सिटी और हॉस्टल की बातें याद हैं मुझे शोहरत के चलते सब भूली नहीं हूँ मैं